-ज्योति झा

यी जीवन आहाँके ओहिने बित जाएत
जिन्दगी पर घमण्ड नहि करु
सभ घमण्ड चुटकीमें चुर चुर भजाएत

मृत्यु जीवनके अटल सत्य थिक
सभ एत्तै राखल रहि जाएत

जिन्दगी भरि जे कमएलहुँ, पाप पुण्य जे कएलहुँ
ओ सभ दोसरेके भजाएत
मुदा कर्मके फलसभ अहिंसँ यमराज भोगाएत

एकर छिनु ओकर लुटु
जिन्दगी भरि एक एक कऽ जोरली आहाँ
मुदा अन्त जौं होयत त कियो साथ नहि रहि जाएत

अखनो समय छि सम्भलु आ सुधैर जाऊ
नहि त यी जिवन बहुत किछ सिखाएत

अई दुनियामें कियो सर्वश्रेष्ठ नहि
मृत्यु जिवनके एक महत्त्वपूर्ण सच्चाई थिक
अहिपर ककरो बस नहि यी बेबस् अछि

आई समय आहाँके अछि त धोखा धरिके खेल खेलैछि
काल्हि समय दोसरके रहतै त अहुँके नाच नचाएत